सूर्य देवता इस सृष्टि के पालनकर्ता है सूर्यदेवता ही इस दुनिया को ऊर्जा और रोशनी प्रदान करते है, इसीलिए सूर्य देव की आराधना की जाये तो कई कष्टों का निवारण स्वतः ही हो जाता है, कई लोग अपने जीवन में सुख शांति बनाये रखने के लिए रोज सवेरे सूर्य देव को जल चढ़ाते है, सूर्य देव को जल चढ़ाना बहुत ही पुण्य का काम है, ऐसा कहा जाता है की जिन लोगो को बहुत ज्यादा गुस्सा आता है उन्हें रोज सवेरे सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए, इससे गुस्सा काम होता है और स्वभाव में नरमी आती है, इतना ही नहीं जल चढाने से मनुष्य को जीवन में सुख समृद्धि सभी हासिल होती है और अगर सूर्य देव को अर्घ्य देते समय सूर्यमंत्रो का भी जाप किया जाये तो मनुष्य की कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते है, लेकिन कभी भी सूर्य देव को जल चढ़ाते समय कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इन बातो की अनदेखी सूर्यदेव को कुपित कर सकती है और हमे परेशानी में डाल सकती है |केवल जल ना चढ़ाये
सूर्य देव को कभी भी जल चढ़ाते समय केवल जल ही नहीं चढ़ाये उन्हें जल के साथ कोई लाल फूल और चावल भी चढ़ाये और साथ ही गुड का भोग भी लगाए, शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव को खाली जल चढ़ाने से सूर्य देव नाराज हो सकते है, इसीलिए इन बातो का अवश्य ध्यान रखे |
पैरो में ना गिरे जल
सूर्य देव को जल का अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखे की अर्घ्य देते समय जल या जल के छींटे आपके पैरो में ना पड़े, ऐसा माना जाता है की अगर सूर्य देव को चढ़ाने वाले जल के छींटे आपके पैरो में पड़ते है तो वह अर्घ्य सूर्य देव को नहीं चढ़ पाता है, और पूर्व में बताई गयी के बात के अनुसार जल में फूल या चंदन डाल कर भी अर्घ्य दे सकते है |
जल सवेरे ही चढ़ाये
ऐसे लोग जिनकी कुंडली में किसी भी प्रकार का दोष है ऐसे लोग अपने दोष को समाप्त करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर के मंदिर जाए और सूर्यदेव को जल चढ़ाये और एक बात का हमेशा ध्यान रखे की जल हमेशा सुबह ब्रह्ममुहूर्त में ही चढ़ाये, सूर्यदेव को जल चढ़ाने का सबसे शुभ मुहूर्त यही है |
ताम्बे के पात्र से ही जल चढ़ाये
एक बात का हमेशा ध्यान रखे की सूर्य देवको जल चढ़ाने का पात्र ताम्बे का ही होना चाहिए, इसके अलावा किसी भी अन्य धातु जैसे स्टील, कांच, चांदी और प्लास्टिक जैसी किसी भी धातु का प्रयोग नहीं करना चाहिए, और जल चढ़ाते समय पात्र को सिर के ऊपर रखे ताकि सूर्य की किरणे जल से होकर आप तक पहुँच सके |
पूर्व दिशा में दे अर्घ्य
सूर्य देव जो अर्घ्य हमेशा पूर्व दिशा में ही दे और अगर किसी दिन मौसम में बदलाव के कारण सूर्यदेव नज़र नहीं आ रहे हो तो भी पूर्व दिशा की और ही जल चढ़ाये |